हम श्याम के पागल है,
दोहा – तेरे दर की अजब दरबारी,
जहां हम एक आस किए बैठे है,
बना ले अपने चरणों का पागल,
यही अरदास लिए बैठे है।
दुनिया तो जलती है,
दुनिया को जलने दो,
हम श्याम के पागल है,
हमें पागल रहने दो।।
कोई धन पीछे है पागल,
कोई शोहरत का है पागल,
जिन्हें लगन है श्याम धणी की,
वह तो है असली पागल,
जग कहता हमें पागल,
उन्हें पागल कहने दो,
हम श्याम के पागल हैं,
हमें पागल रहने दो।।
ना दुख की परवाह है हमको,
ना इच्छा है खुशियों की,
श्याम कृपा से बदल जाती हर,
बिगड़ी रेखा किस्मत की,
है श्याम दया दरिया,
दरिया में बहने दो,
हम श्याम के पागल हैं,
हमें पागल रहने दो।।
लिख दिया है श्याम के नाम पे,
हमने अपना यह जीवन,
जग हंसता है सारा मुझ पर,
मेरा देख दीवानापन,
हस के जग के ताने,
‘धीरज’ को सहने दो,
हम श्याम के पागल हैं,
हमें पागल रहने दो।।
दुनिया तो जलती है,
दुनिया को जलने दो,
हम श्याम के पागल हैं,
हमें पागल रहने दो।।
गायक – धीरज तिवारी।
7007990683