हम कब से राह निहारे,
क्यो ना आये बाबोसा हमारे,
एक पल भी चेन न आवे,
बिन दर्शन के तुम्हारे,
हो..पल पल , पल पल.
याद तेरी तड़पावे रे,
अब आजा चूरू के राजा,
भक्त बुलावे है रे।।
तर्ज – तेरी अँखिया को यो काजल।
अँखिया तरस रही है,
तेरा करने को दीदार,
ये दिल की हर धड़कन भी,
तुमको रही पुकार,
मेरी जिंदगी का अब ये,
पहलू बदल न जाये,
कही तुम्हारे आते आते,
मेरा दम निकल न जाये,
हो..पल पल , पल पल.
याद तेरी तड़पावे रे,
अब आजा चूरू के राजा,
भक्त बुलावे है रे।।
कही टूट न जाये बाबा,
तेरे भक्तो की ये आस,
दौड़े आयेंगे बाबोसा,
है पक्का मुझे विस्वास,
दिल से बुलाओ ‘दिलबर’,
आयेगे वो जरूर,
अपने भक्तो की विनती,
नही ठुकरायेंगे हुजूर,
हो..पल पल , पल पल.
याद तेरी तड़पावे रे,
अब आजा चूरू के राजा,
भक्त बुलावे है रे।।
हम कब से राह निहारे,
क्यो ना आये बाबोसा हमारे,
एक पल भी चेन न आवे,
बिन दर्शन के तुम्हारे,
हो..पल पल , पल पल.
याद तेरी तड़पावे रे,
अब आजा चूरू के राजा,
भक्त बुलावे है रे।।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
9907023365