हे सिंदूर लगाने वाले प्रभु राम को रिझाने वाले लिरिक्स

हे सिंदूर लगाने वाले,
प्रभु राम को रिझाने वाले,
हे कपिराज तुम्हारी,
जय जयकार होवे जू,
हे सिंदूर लगाने वालें,
प्रभु राम को रिझाने वाले।।



पम्पापुर में मिले राम और,

लक्ष्मन दोनों भ्राता,
हुए नैन शीतल हनुमत के,
हर्ष न हृदय समाता,
कपि से मेल कराने वाले,
प्रभु को हृदय बसाने वाले,
हे कपिराज तुम्हारी,
जय जयकार होवे जू,
हे सिंदूर लगाने वालें,
प्रभु राम को रिझाने वाले।।



प्रभु की आज्ञा पाकर,

माँ सीता का पता लगाया,
अजर अमर होने का वर,
माँ सीता से था पाया,
प्रभु सन्देश सुनाने वाले,
सिया की खोज लगाने वाले,
हे कपिराज तुम्हारी,
जय जयकार होवे जू,
हे सिंदूर लगाने वालें,
प्रभु राम को रिझाने वाले।।



लक्ष्मण शक्ति लगी राम जी,

विकल हुए जब भारी,
बूटी लाने हनुमान की,
फिर से आई बारी,
संजीवनी को लाने वाले,
लखन के प्राण बचाने वाले,
हे कपिराज तुम्हारी,
जय जयकार होवे जू,
हे सिंदूर लगाने वालें,
प्रभु राम को रिझाने वाले।।



मिले प्रभु का प्रेम जो,

माता ने सिंदूर लगाया,
इतना सुन सिंदूर से हनुमत,
ने खुद को नहलाया,
प्रभु प्रेम को पाने वाले,
उनका मन हर्षाने वाले,
हे कपिराज तुम्हारी,
जय जयकार होवे जू,
हे सिंदूर लगाने वालें,
प्रभु राम को रिझाने वाले।।



हे सिंदूर लगाने वाले,

प्रभु राम को रिझाने वाले,
हे कपिराज तुम्हारी,
जय जयकार होवे जू,
हे सिंदूर लगाने वालें,
प्रभु राम को रिझाने वाले।।

गीतकार / गायक – मनोज कुमार खरे।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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