हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी लिरिक्स

हे नाथ क्या ये विनती,
स्वीकार अब न होगी,
आश्रित पे अनुग्रह की,
भरमार अब न होगी।।



पतितों के तारने के,

किस्से पड़े पुराने,
क्या एक नई कहानी,
तैयार अब न होगी,
हे नाथ क्या यें विनती,
स्वीकार अब न होगी।।



गर है स्वभाव बदला,

तो साफ साफ कह दो,
हुई बार बार करूणा,
इस बार अब न होगी,
हे नाथ क्या यें विनती,
स्वीकार अब न होगी।।



रहते थे जिसके बस में,

जो आपको था प्यारा,
उस प्रेम की भी शायद,
दरकार अब न होगी,
हे नाथ क्या यें विनती,
स्वीकार अब न होगी।।



दुख दूर कर दो ताकि,

‘राजेश’ भी ये बोले,
एहसान मानता हूँ,
तकरार अब न होगी,
हे नाथ क्या यें विनती,
स्वीकार अब न होगी।।



हे नाथ क्या ये विनती,

स्वीकार अब न होगी,
आश्रित पे अनुग्रह की,
भरमार अब न होगी।।

स्वर – श्री राजेश्वरानन्द जी महाराज।
प्रेषक – दुर्गा प्रसाद जी।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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