हे नन्दलाला मदन गोपाला तेरे भरोसे ही थामा रे प्याला

हे नन्दलाला मदन गोपाला,
तेरे भरोसे ही थामा रे प्याला,
किसको याद करु मेरे श्याम,
एक तुही तो हे रखवाला।।

तर्ज – चॉदी की दिवार को।



किसी ने चरणामृत कह डाला,

कोई बतावे विष का प्याला,
ऑखे मुंद कर देखा मेने,
हँसता दिख गया मुरली वाला।।



दासी कहे के गजब कर डाला,
मीरा पी गई विष का प्याला,
राणों कहे अब कोन बचाए,
कहॉ गया तेरा मुरली वाला।।



जब जब भक्तों पे आन पडी हे,

वो ही बना हे सबका ढाला,
अपनी फिकर ना की है उसने,
धरती पर आयो गोपाला।।



विष प्याला ना अमृत बना था,

वो तो था विष का ही प्याला,
मेरे हरि ने लिला करके,
विष का प्याला खुद पी डाला।।



विष प्याला जो अमृत बनता,

देवता लडकर पीते प्याला,
शिव का निला कण्ठ कर डाला,
हरि ने निला तन रंग डाला।।



हरि का इसमें बस चलता तो,

सबको मिलता अमृत प्याला,
कर्मों का जाला बुन करके,
हमी ने पाया विष का प्याला।।

रचनाकार – श्री सुभाषचन्द्र जी त्रिवेदी।
7869697758


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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