हेली म्हारी कर सोलह सिणगार गुरु जी सूं मिलबा चालां ये

हेली म्हारी कर सोलह सिणगार,
गुरु जी सूं मिलबा चालां ये।।



गुरु शब्द को साबुन ले ले,

कचरा ने परो निवार,
राम नाम की टिकी लगा ले,
सत्संग सुरमो सार।।
हेली मारी कर सोलह सिणगार,
गुरु जी सूं मिलबा चालां ये।।



दया धर्म को पहर ले गागरो,

नेम को नाड़ो सार,
करड़ी गांठ जुगत से दीज्ये,
हंसे नही संसार।
हेली मारी कर सोलह सिणगार,
गुरु जी सूं मिलबा चालां ये।।



ओर पियो मारे दाय नही आवे,

अजर अमर पियो मारो,
उण पिया से लगी डोर मारी,
एक पलक नही न्यारो।
हेली मारी कर सोलह सिणगार,
गुरु जी सूं मिलबा चालां ये।।



नाथ गुलाब मिलिया गुरु पूरा,

दियो शब्द तत सारो,
भवानी नाथ गुरु जी के शरणे,
सहजा लियो किनारों।
हेली मारी कर सोलह सिणगार,
गुरु जी सूं मिलबा चालां ये।।



हेली म्हारी कर सोलह सिणगार,

गुरु जी सूं मिलबा चालां ये।।

गायक – भवानी सिंह शेखावत गोल जयपुर।
प्रेषक – चम्पालाल प्रजापति।
मालासेरी डूँगरी 89479-15979


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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