हे मूर्ति बड़ी महान रे,
अखिलेश्वर पावन धाम रे,
जहां विराजे साक्षात,
ऊ पवन पुत्र हनुमान रे।।
हे सोभा बड़ी प्यारी रे,
ओ संकट मोचन थारी रे,
विश्व म छे एक मात्र मूर्ति,
हाथ म शिवलिंग धारी रे,
जहां चल अखंड रामायण रे,
होय राम नाम गुणगान रे,
जहां विराजे साक्षात,
ऊ पवन पुत्र हनुमान रे।।
जहां चल राम को नाम रे,
वहां रहे वीर हनुमान रे,
जिन दई दियों परमाण रे,
झपकई दी पलक सरेआम रे,
सब भक्त जन हर्षाई न,
बोल जयसियाराम रे,
जहां विराजे साक्षात,
ऊ पवन पुत्र हनुमान रे।।
जय जय बजरंगी थारी रे,
ओ शिव का रुदृ अवतारी रे,
दुर दुर सी दर्शन क,
आई रया नर और नारी रे,
लिख ‘उमेश मुलेवा’ छंद रे,
करु नमी नमी प्रणाम रे,
जहां विराजे साक्षात,
ऊ पवन पुत्र हनुमान रे।।
हे मूर्ति बड़ी महान रे,
अखिलेश्वर पावन धाम रे,
जहां विराजे साक्षात,
ऊ पवन पुत्र हनुमान रे।।
लेखक / गायक – उमेश मुलेवा।
6261240737