हारा हूँ साथ निभाओ ना बाबा,
मुझको भी गले से लगाओ ना बाबा,
देने हो गर मुझे बाद में आँसू,
पहले मुझे हंसाओ ना बाबा,
हारा हूँ साथ निभाओ ना बाबा।।
तर्ज – जिंदगी में कभी कोई आए।
जितने भी अपने थे वो,
सारे पराए है,
हार के बाबा तेरी,
शरण में आए है,
तेरा ही सहारा है,
तू ही तो हमारा है,
अपनो को ऐसे तरसाओ ना बाबा।
हारा हुँ साथ निभाओ ना बाबा,
मुझको भी गले से लगाओ ना बाबा,
देने हो गर मुझे बाद में आँसू,
पहले मुझे हंसाओ ना बाबा,
हारा हूँ साथ निभाओ ना बाबा।।
तेरी दातारि बाबा,
बड़ी मशहूर है,
खाटु नगरिया बाबा,
बड़ी ही दूर है,
पहली बार आया हूँ,
आस लेकर आया हूँ,
हालत पे मेरी तरस खाओ ना बाबा।
हारा हुँ साथ निभाओ ना बाबा,
मुझको भी गले से लगाओ ना बाबा,
देने हो गर मुझे बाद में आँसू,
पहले मुझे हंसाओ ना बाबा,
हारा हूँ साथ निभाओ ना बाबा।।
हार के जो भी आया,
फिर नही हारा है,
सांवरे सलोने तूने,
जीवन सँवारा है,
कुछ नही मेरा है,
‘कन्हैया’ भी तेरा है,
पकड़ा जो हाथ छुड़ाओ ना बाबा।
हारा हुँ साथ निभाओ ना बाबा,
मुझको भी गले से लगाओ ना बाबा,
देने हो गर मुझे बाद में आँसू,
पहले मुझे हंसाओ ना बाबा,
हारा हूँ साथ निभाओ ना बाबा।।
हारा हूँ साथ निभाओ ना बाबा,
मुझको भी गले से लगाओ ना बाबा,
देने हो गर मुझे बाद में आँसू,
पहले मुझे हंसाओ ना बाबा,
हारा हूँ साथ निभाओ ना बाबा।।