हनुमान मेरे वन के साथी सीता इन बिन ना मिल पाती लिरिक्स

हनुमान मेरे वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ।।

ये भी देखें – बता दो हनुमान कैसे।



सागर को पार करके,

सीता का पता लगाया,
लंका जला के इनने,
सब खाक में मिलाया,
इनसा ना कोई जग में,
बतलाना चाहता हुँ,
हनुमान मेरें वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ।।



शक्ति लगी थी जिस दम,

लक्ष्मण को मेरे भाई,
एक भी नही था दल में,
लक्ष्मण का कोई सहाई,
सँजीवनी ये लाये,
बतलाना चाहता हूँ,
हनुमान मेरें वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ।।



हमको चुरा अहिरावण,

पाताल ले गया था,
अब हम नही बचेगे,
विश्वास हो गया था,
अहिरावण को इनने मारा,
बतलाना चाहता हूँ,
हनुमान मेरें वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ।।



संकट की हर घड़ी में,

मेरे हुये सहाई,
इनका ऋणी रहूंगा,
ये मेरे भरत भाई,
भक्ति में शक्ति “राजेन्द्र”
समझाना चाहता हूँ,
हनुमान मेरें वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ।।



हनुमान मेरे वन के साथी,

सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ।।

गायक / प्रेषक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
8939262340


Previous articleकलयुग कला थोरी अजमाल रा प्रगटिया रामदेव जी सायल
Next articleजिनके हृदय में है सिया राम उनके निकट बसे श्री हनुमान लिरिक्स
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here