हमने ने ये दरबार सजाया,
श्याम जी तेरे लिए,
खाटु वाले आ भी जाओ,
आज भक्तो के लिए।।
तर्ज – हर करम अपना करेंगे।
श्याम सुन्दर के सिवा,
मुझको ना कुछ सूझता,
एक बस तेरे ही चरणों को,
मैं बाबा पूजता,
मेरे मन तो बसे हो,
गा रहा तेरे लिए,
खाटु वाले आ भी जाओ,
आज भक्तो के लिए।।
हर ग्यारस की रात में,
आओगे तुम ये सोचके,
पर कभी भी तूम ना आए,
यूँ मैं खाली लौटती, लौटती,
और कितने युग लगेंगे,
ये बताओ मेरे लिए,
खाटु वाले आ भी जाओ,
आज भक्तो के लिए।।
हमने ने ये दरबार सजाया,
श्याम जी तेरे लिए,
खाटु वाले आ भी जाओ,
आज भक्तो के लिए।।