हमें श्याम जीने का,
बहाना ना मिलता,
तेरे दर ना आते,
तेरे दर ना आते,
भटकते ही रहते,
ठिकाना ना मिलता,
तेरे दर ना आते,
तेरे दर ना आते।।
तर्ज – हमे और जीने की चाहत।
बेरंग दुनिया,
फीके नज़ारे,
पराए से दिखते थे,
अपने ही सारे,
बाग ये उम्मीदों का,
फिर से ना खिलता,
तेरे दर ना आते,
तेरे दर ना आते।।
तेरे सिवा दिल की,
सुनता ना कोई,
तेरे ही आगे श्याम,
मेरी आँख रोई,
ज़ख़्म मेरे दिल के,
कोई ना सिलता,
तेरे दर ना आते,
तेरे दर ना आते।।
जब से तुम्हें श्याम,
माना है अपना,
पूरा हुआ मेरे,
जीवन का सपना,
सपने ये खुशियों के,
कोई ना बुनता,
तेरे दर ना आते,
तेरे दर ना आते।।
खुशियों से तूने,
भर दिया दामन,
तुम से महकता है,
मेरा घर आँगन,
‘रोमी’ कृपा का,
खजाना ना मिलता,
तेरे दर ना आते,
तेरे दर ना आते।।
हमें श्याम जीने का,
बहाना ना मिलता,
तेरे दर ना आते,
तेरे दर ना आते,
भटकते ही रहते,
ठिकाना ना मिलता,
तेरे दर ना आते,
तेरे दर ना आते।।
स्वर – तोशी कौर।