हमें निज धर्म पर चलना सिखाती रोज़ रामायण भजन लिरिक्स

हमें निज धर्म पर चलना,
सिखाती रोज़ रामायण,
सदा शुभ आचरण करना,
सिखाती रोज़ रामायण।।



जिन्हे संसार सागर से,

उतर कर पार जाना है,
उन्हे सुख के किनारे पर,
लगाती रोज़ रामायण,
सदा शुभ आचरण करना,
सिखाती रोज़ रामायण।।



कही छवि विष्णु की बाँकी,

कही शंकर की है झांकी,
हृदय आनँद झूले पर,
झुलाती रोज़ रामायण,
सदा शुभ आचरण करना,
सिखाती रोज़ रामायण।।



कभी वेदों के सागर मे,

कभी गीता की गँगा मे,
कभी रस ‘बिंदु’ के जल मे,
डुबाति रोज़ रामायण,
सदा शुभ आचरण करना,
सिखाती रोज़ रामायण।।



सरल कविता के कुंजो में,

बना मंदिर है हिन्दी का,
जहां प्रभु प्रेम का दर्शन,
कराती रोज रामायण,
सदा शुभ आचरण करना,
सिखाती रोज़ रामायण।।



हमें निज धर्म पर चलना,

सिखाती रोज़ रामायण,
सदा शुभ आचरण करना,
सिखाती रोज़ रामायण।।

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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

5 COMMENTS

  1. भजन टाइपिंग में गलती है भाई साहब। पहले भजन को 3 बार सुने उसके बाद उसे पोस्ट करें धन्यवाद।

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