हारना भी जरुरी था,
तेरे दरबार में इस सर का,
झुकना भी जरुरी था,
मेरी आँखों से आंसू का,
टपकना भी जरुरी था,
बताऊँ क्या तुम्हे बाबा,
पता है सब भला तुमको,
जितने के लिए हमको,
हारना भी जरुरी था।।
तर्ज – जरुरी था।
भटकते जो नहीं दर दर,
तुम्हारा द्वार ना मिलता,
सताए जो नहीं जाते,
तुम्हारा प्यार ना मिलता,
तो क्या होता हमें जो,
खाटू का ये धाम ना मिलता,
मिला है आज जो बाबा,
हमें वो नाम ना मिलता,
मगर अब याद आता है,
वो जग की ठोकरे खाना,
कंकरो से भरे रस्तों पे,
चलना भी जरुरी था,
तेरे दरबार में इस सर का,
झुकना भी जरुरी था।।
मैं मांगू और क्या तुमसे,
तुम्हारा साथ काफी है,
मेरी हर जीत के पीछे,
तुम्हारा हाथ काफी है,
मेरे होंठो से निकले,
बस तुम्हारा नाम काफी है,
मेरे भजनो से रीझो,
बस प्रभु वो भाव काफी है,
मगर अब बेफिकर है हम,
तुम्हारा हाथ है सिर पे,
‘शुभम रूपम’ को खाटू से,
गुजरना भी जरुरी था,
तेरे दरबार में इस सर का,
झुकना भी जरुरी था।।
तेरे दरबार में इस सर का,
झुकना भी जरुरी था,
मेरी आँखों से आंसू का,
टपकना भी जरुरी था,
बताऊँ क्या तुम्हे बाबा,
पता है सब भला तुमको,
जितने के लिए हमको,
हारना भी जरुरी था,
हारना भी जरुरी था।।
गायक – शुभम रूपम।