हारा हूँ मैं श्याम,
हारा हूं मै श्याम बाबा,
तेरा ही सहारा है,
हारा हूं मै श्याम,
हारा हूँ मै श्याम बाबा,
तेरा ही सहारा है,
बस तू ही तो हमारा है,
हारा हूं मै श्याम।।
हमने सुना है श्याम,
जो हार कर तेरे,
द्वारे पे आता है।
उसको तू गले लगा,
और सिर पर हाथ फिरा,
तू प्यार लुटाता है।
फिर तेरा ही नाम,
वो सांचे दिल से पुकारा है,
बस तू ही तो हमारा है,
हारा हूं मै श्याम।।
मैं भी हूँ भटक रहा,
मझदार में लटक रहा,
तू ही अब राह दिखा।
बिगड़ा हुआ मेरा काम,
कैसे बनेगा श्याम,
अब तू ही लाज बचा।
माँ का वचन निभा,
बाबा बालक तेरा हारा है,
बस तू ही तो हमारा है,
हारा हूँ मै श्याम।।
तेरी मोरछड़ी को थाम,
लीले की पकड़ो लगाम,
खाटु से आ जाओ।
प्रेमी का भरोसा तू,
ओ हारे के साथी,
अब आस पुरा जाओ।
‘शेखावत’ का श्याम,
तेरे नाम से गुजारा है,
बस तू ही तो हमारा है,
हारा हूँ मै श्याम।।
हारा हूँ मैं श्याम,
हारा हूँ मै श्याम बाबा,
तेरा ही सहारा है,
हारा हूँ मै श्याम,
हारा हूं मै श्याम बाबा,
तेरा ही सहारा है,
बस तू ही तो हमारा है,
हारा हूँ मै श्याम।।
लेखक व प्रेषक – हिमांशु सिंह शेखावत।
पटौदी 7082553226