हार के इस दुनिया से आया तेरे दरबार भजन लिरिक्स

हार के इस दुनिया से,
आया तेरे दरबार।

तर्ज – सावन का महिना।

दोहा – जख्म इतने गहरे है,
इजहार क्या करे,
हम खुद निशाना बन गए,
अब वार क्या करे,
मर गए तेरे दर पे हम,
मगर खुली रही आँखे,
सांवरे अब इससे ज्यादा,
हम इंतजार क्या करे।



हार के इस दुनिया से,

आया तेरे दरबार,
तू हारे का सहारा,
मेरा बाबा लखदातार।।



सुख में कभी ना बाबा,

तुमको ध्याया,
दुःख आते ही तेरी,
शरण में आया,
भूल है मेरी बाबा,
मैं करता हूँ स्वीकार,
तू हारे का सहारा,
मेरा बाबा लखदातार।।



शरण में आए उसको,

पार ना उतारा,
तुमसे ही पूछेगा ये,
संसार सारा,
तेरे होते बाबा,
मैं क्यों रहूँ मजधार,
तू हारे का सहारा,
मेरा बाबा लखदातार।।



दुःख संकट अब,

सहे नही जाते,
शरणागत को क्यों ना,
गले से लगाते,
दर पे आन पड़ा हूँ,
अब तो सुन ले पुकार,
तू हारे का सहारा,
मेरा बाबा लखदातार।।



तुझको सुनाया बाबा,

अपना फ़साना,
चरणों में तेरे श्याम,
मेरा ठिकाना,
तीन बाण के धारी,
तुम करुणा के आधार,
तू हारे का सहारा,
मेरा बाबा लखदातार।।



हार के इस दुनियाँ से,

आया तेरे दरबार,
तू हारे का सहारा,
मेरा बाबा लखदातार।।

स्वर – राकेश काला।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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