गुरुसा मारो अबकोडो जन्म सुधारो राजस्थानी भजन लिरिक्स

गुरुसा मारो अबकोडो जन्म सुधारो,

श्लोक:- सतगुरु दीवो नाम रो,
तो क्या जाने संसार ।
घिरत सिचावो प्रेम रो,
वीरा उतारो भवजल पार।।



कोण भुलुला गुण थारो ओ,

गुरुसा मारो अबकोडो जन्म सुधारो।

लख चौरासी में घणो दुःख देखियो,
धर धर पशु अवतारो।
धुप छाव में तो चही घनेरी,
ओ दुख परो रे निवारो ।
गुरुसा मारो अबकोडो जन्म सुधारो,
कोण भुलुला गुण थारो ओ,
गुरुसा मारो अबकोडो जन्म सुधारो ।।



गुरु बिन सहाय करे कौन जीवरी,

तीर्थ फिरो हजारो।
वैकुंठासु पासा भेजिया,
नारद सुखदेव प्यारो।
गुरुसा मारो अबकोडो जन्म सुधारो
कोण भुलुला गुण थारो ओ,
गुरुसा मारो अबकोडो जनम सुधारो ।।



गुरु बिन ग्यान ध्यान सब जुठो,

जुठो जी जग संसारो।
पति बिन नार कैसो पद पावे,
कैसे विधवा रो सिंगारो।
गुरुसा मारो अबकोडो जन्म सुधारो।
कोण भुलुला गुण थारो ओ,
गुरुसा मारो अबकोडो जनम सुधारो ।।



राम मिलन री राह बतावो,

मेटो भृम अंधेरो।
आप गुरुसा म्हारा पर उपकारी,
अवगुण परो रे निवारो ।।
गुरुसा मारो अबकोडो जन्म सुधारो।
कोण भुलुला गुण थारो ओ,
गुरुसा मारो अबकोडो जनम सुधारो ।।



बार बार म्हारी आई विनती,

वैगी सुनो जी पुकारो।
दास केवल पर कृपा कीजो,
सर पर पंजो रालो।
गुरुसा मारो अबकोडो जन्म सुधारो।
कोण भुलुला गुण थारो ओ,
गुरुसा मारो अबकोडो जनम सुधारो ।।



कोण भुलुला गुण थारो ओ,

गुरुसा मारो अबकोडो जनम सुधारो ।।


Singer : Mahendra Singh Rathore
Submitted By : Shravan Singh Rajpurohit


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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