गुरूजी बंद पड़ी,
दिवला वाली रे ज्योत,
दोहा – संत बुलाया आंगने,
और गुरु उगमजी महाराज,
बाई रूपादे वायक भेजिया,
रूपा आवो जमला रे माय।
गुरूजी बंद पड़ी,
दिवला वाली रे ज्योत,
सत्संग में नुगरो आवियो,
गुरूजी नुगरो है काटो वाली रे वाड,
नुगरा संग दोरो रेवनो,
गुरू जी बंद पड़ी,
दिवला वाली रे ज्योत,
सत्संग में नुगरो आवियो।।
गुरूजी पापी मिलजो सौ ने हजार,
नुगरो मत मिलजो एकलो,
गुरूजी नुगरो है नारगी री खान,
नुगरो तो नर्ग में जावसी,
गुरू जी बंद पड़ी,
दिवला वाली रे ज्योत,
सत्संग में नुगरो आवियो।।
गुरूजी कही है आ ओसा नर री प्रीत,
ओ प्रीत किया नट जावसी,
गुरूजी ओसो करले धर्म री बाट,
आ पाप पोटली सर पे धरी,
गुरू जी बंद पड़ी,
दिवला वाली रे ज्योत,
सत्संग में नुगरो आवियो।।
गुरूजी बाई रूपा गावे भजना माय,
वीनती आ सुनजो दास री,
गुरूजी पुरियों ओ अलख धणी रो पाठ,
रखियां रे द्वारे ज्योत जगी,
गुरू जी बंद पड़ी,
दिवला वाली रे ज्योत,
सत्संग में नुगरो आवियो।।
गुरूजी बंद पड़ी,
दिवला वाली रे ज्योत,
सत्संग में नुगरो आवियो,
गुरूजी नुगरो है काटो वाली रे वाड,
नुगरा संग दोरो रेवनो,
गुरू जी बंद पड़ी,
दिवला वाली रे ज्योत,
सत्संग में नुगरो आवियो।।
Singer : Kishore Paliwal
भजन प्रेषक – श्रवण सिंह राजपुरोहित।
सम्पर्क – +91 90965 58244
Nice bhajan very good
Bahut accha