गुरुदेव तुम्हारे चरणों में,
बैकुंठ का वास लगे मुझको,
अब तो तेरे ही रूप में बस,
प्रभु का अहसास लगे मुझको,
गुरुदेव तुम्हारे चरणो में,
बैकुंठ का वास लगे मुझको।।
तर्ज – दिल लूटने वाले जादूगर।
अमृत चरणों का देके मुझे,
पापी से पावन कर डाला,
मेरे सर पर हाथ फिराकर के,
मुझे अपने ही रंग में रंग डाला,
इस जीवन की बिलकुल ही नई,
जैसे शुरुआत लगे मुझको,
गुरुदेव तुम्हारे चरणो में,
बैकुंठ का वास लगे मुझको।।
मैं किस पे भला अभिमान करूँ,
ये हाड़ मांस की काया है,
सोना चांदी हिरे मोती,
बस चार दिनों की माया है,
गुरुदेव ने ऐसा ज्ञान दिया,
दुनिया वनवास लगे मुझको,
गुरुदेव तुम्हारे चरणो में,
बैकुंठ का वास लगे मुझको।।
मैंने नाम गुरु का लिख डाला,
हर सांस पे हर एक धड़कन पर,
केवल अधिकार गुरु का है,
अब तो ‘शर्मा’ के जीवन पर,
गुरुदेव बिना कुछ भाता नहीं,
ऐसा आभास लगे मुझको,
गुरुदेव तुम्हारे चरणो में,
बैकुंठ का वास लगे मुझको।।
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में,
बैकुंठ का वास लगे मुझको,
अब तो तेरे ही रूप में बस,
प्रभु का अहसास लगे मुझको,
गुरुदेव तुम्हारे चरणो में,
बैकुंठ का वास लगे मुझको।।
स्वर – श्री संजय गुलाटी।
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