गुरुदेव मुझको जबसे तेरा,
प्यार मिला है,
हर बार मिला है रे,
बेशुमार मिला है,
अब जिन्दगी जीने का,
आधार मिला है,
प्यार मिला है रे,
बहुत प्यार मिला है।।
तर्ज – दिल जाने जिगर तुझपे।
गमो से भरी थी,
ये मेरी जिन्दगानी,
किसको सुनाता मैं,
अपनी कहानी,
गुरुवर जो आया,
बनके मेरा साया,
खुशियों का मुझको,
भंडार मिला है,
प्यार मिला है रे,
बहुत प्यार मिला है।
गुरुदेंव मुझको जबसे तेरा,
प्यार मिला है,
हर बार मिला है रे,
बेशुमार मिला है।।
करुणा की धारा हो.
प्यार के समंदर,
कभी प्यार कम हो ना,
मुझसे ओ “दिलबर”,
तेरे तलबदार है,
तुझपे जाँ निसार है,
आज तक ना ऐसा,
दिलदार मिला है,
प्यार मिला है रे,
बहुत प्यार मिला है।
गुरुदेंव मुझको जबसे तेरा,
प्यार मिला है,
हर बार मिला है रे,
बेशुमार मिला है।।
गुरुदेव मुझको जबसे तेरा,
प्यार मिला है,
हर बार मिला है रे,
बेशुमार मिला है,
अब जिन्दगी जीने का,
आधार मिला है,
प्यार मिला है रे,
बहुत प्यार मिला है।।
– गायक एवं लेखक –
श्री दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’
नागदा जक्शन म.प्र.
मो.9907023465
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