गुरूदेव चले आना,
एक बार चले आना,
मुझ दीनन को दाता मेरे,
एक पल को न बिसराना,
गुरूदेव चलें आना,
एक बार चले आना।।
तर्ज – जब दीप जले आना।
जब साँसे मेरी थमने लगे,
जब आँखे मेरी मुँदने लगे,
तुम पाँव मेरे सिर से दाता,
आकर के लगा जाना,
गुरूदेव चलें आना,
एक बार चले आना।।
तुम हो जो अगर घट घट वासी,
तो सुनलो हे नँगली वासी,
मै दास तू है दाता मेरा,
ये रिश्ता निभा जाना,
गुरूदेव चलें आना,
एक बार चले आना।।
तुम रक्षक हो प्रभू दीनन के,
और भक्तो के हो रखवाले,
मुझ दीनन की दाता मेरे,
अर्जी को न बिसराना,
गुरूदेव चलें आना,
एक बार चले आना।।
गुरूदेव चले आना,
एक बार चले आना,
मुझ दीनन को दाता मेरे,
एक पल को न बिसराना,
गुरूदेव चलें आना,
एक बार चले आना।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
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