गुरु मोहे उबारो भवसागर अति भारो लिरिक्स

गुरु मोहे उबारो,
भवसागर अति भारो,
काम क्रोध मद लोभ मोह का,
हो रियो जय जयकारो।।



आशा तृष्णा नदियां बह रही,

कहीं ना देखे किनारो,
कहीं ना देखे किनारो,
सत्य न्याय की बात ना माने,
देख लियो सब धारों,
गुरु मोंहे उबारो,
भवसागर अति भारो।।



भवसागर से आप दयालु,

करते तुरंत उबारो,
अब मैं नाथ शरण में तेरी,
और नहीं सहारो,
गुरु मोंहे उबारो,
भवसागर अति भारो।।



शरणागत की लज्जा राखो,

सांचौ वृहद तुम्हारो,
भक्तजनों पर भीड़ पड़ी जब,
आप लिया अवतारो,
गुरु मोंहे उबारो,
भवसागर अति भारो।।



जय शिवानंद जी यू समझावे,

गुरु बिन कोई भव मेटर हारो,
निस दिन ध्यान धरो सतगुरु का,
और न कोई हमारो,
गुरु मोंहे उबारो,
भवसागर अति भारो।।



गुरु मोहे उबारो,

भवसागर अति भारो,
काम क्रोध मद लोभ मोह का,
हो रियो जय जयकारो।।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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