गुरु को ना पहचान सका तो जग जाना तो जाना क्या लिरिक्स

गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या,
धन दौलत तू पा भी लिया गर,
धन दौलत तू पा भी लिया गर,
चैन नहीं पाया तो क्या,
गुरु को न पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।

तर्ज – कस्मे वादे प्यार वफ़ा।



बाहर आडम्बर कुछ है,

भीतर रूप ना निखारा है,
गुरु गुरु में शिष्य गुरु में,
गुरु बनने का झगड़ा है,
ऐसे गुरु भला बोलो क्या,
शिष्य को राह दिखाएगा,
गुरु को न पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।



कहलाने को भक्त बहुत है,

लेकिन खोटा धंधा है,
माया ऐसे घेर लिया है,
रहते आँख भी अँधा,
ऐसे भक्तो को प्रभु का दर्शन,
कहो कैसे हो पाएगा,
गुरु को न पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।



डाल पकड़ कर झूल रहा है,

दुख का कहाँ निवारण है,
जगत गुरु को भूल ही जाना,
सभी दुखों का कारण है,
सोच समझ कर गुरु करो तुम,
नही तो धोखा खाएगा,
गुरु को न पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।



जो करना वो खुद ही करना,

ना कहना नाइंसाफी है,
भजन में शब्द नही है काफी,
भाव का होना काफी है,
गाया नही गुरु का महिमा,
राग रसीला गाया क्या,
गुरु को न पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।



गुरु को ना पहचान सका तो,

जग जाना तो जाना क्या,
धन दौलत तू पा भी लिया गर,
धन दौलत तू पा भी लिया गर,
चैन नहीं पाया तो क्या,
गुरु को न पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।

देखे – गुरुवर चरणों में दे दो ठिकाना।

गायक – धीरज कांत जी।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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