गुरु आलू सिंह जी की,
म्हाने याद सतावै है,
छोड़ गया भक्तां ने,
छोड़ गया भक्तां ने,
म्हारो हियो भर आवै है,
गुरु आलु सिंह जी की,
म्हाने याद सतावै है।।
तर्ज – बाबुल का ये घर।
छोटी सी उमरियाँ में,
बाबा श्याम का दीवाना बणयां,
खाटू ने चमन करयो,
जग सारो जान्यो,
इब कुण भक्त इसो,
इब कुण भक्त इसो,
जो म्हाने बणावै है,
गुरु आलु सिंह जी की,
म्हाने याद सतावै है।।
गुलाब और केसर की,
थे वर्षा करता था,
भक्तां के सागे थे,
दरबार ने रंगता था,
इब कुण बाबे पे,
इब कुण बाबे पे,
वईयां इतर चढ़ावै है,
गुरु आलु सिंह जी की,
म्हाने याद सतावै है।।
भरी सभा में थे,
कीर्तन करता था,
लखदातारी का,
जयकारा लगाता था,
सांचों है यो दरबार,
सांचों है यो दरबार,
इब कुण बतावै है,
गुरु आलु सिंह जी की,
म्हाने याद सतावै है।।
बीच अखाड़े में,
थे शंका मिटाता था,
दर्दी कोई हो,
अरदास लगाता था,
इब कुण संकट में,
इब कुण संकट में,
म्हाने धीर बंधावै है,
गुरु आलु सिंह जी की,
म्हाने याद सतावै है।।
श्याम नाम की क्यूँ,
म्हारे लगन लगाई थी,
जद थाने जाणे की,
इतनी ही खताई थी,
मन म्हारो लागै ना,
मन म्हारो लागै ना,
कुण राह बतावै है,
गुरु आलु सिंह जी की,
म्हाने याद सतावै है।।
खाटू से आता थे,
मित्र मंडल के बीच,
श्याम से मिलाता थे,
दोन्यू आँख्यां मीच,
हावड़ा में लगाता दरबार,
हावड़ा में लगाता दरबार,
इब कुण लगावै है,
गुरु आलु सिंह जी की,
म्हाने याद सतावै है।।
गुरु आलू सिंह जी की,
म्हाने याद सतावै है,
छोड़ गया भक्तां ने,
छोड़ गया भक्तां ने,
म्हारो हियो भर आवै है,
गुरु आलु सिंह जी की,
म्हाने याद सतावै है।।
Singer: Shri Shyam Singh Ji Chauhan
Upload By: Bharat Kumar Ji