गोरख का चिमटा बाजे काली की चले कटार

गोरख का चिमटा बाजे,
काली की चले कटार,
देखियो के होगा।।



दोनु खेलन लगे ज्योत पे,

किलकि लागे खींचके न,
चेले चपटे डरण लाग गे,
उलटे बैठे हटके न,
काली केश घुमावन लागी,
जोगी दे हुंकार,
देखियो के होगा।
गोरख का चिमटा बाजें,
काली की चले कटार,
देखियो के होगा।।



खाड़े में डेरु बाजे से,

होरया मोटा चाला रै,
जाड़ा चढ़या समईया क,
रहया कूद मोगरे आला रै,
एक मरघट की शेरनी,
एक मेडी के सरदार,
देखियो के होगा।
गोरख का चिमटा बाजें,
काली की चले कटार,
देखियो के होगा।।



काली पेड़ा पान मांगरी,

जोगी ले दो लाडू र,
पेशी आवे झूम झूम क,
भगत देखरे जादू र,
संकट बेरी पड़्या कुण मैं,
रोवे सै सिरमार,
देखियो के होगा।
गोरख का चिमटा बाजें,
काली की चले कटार,
देखियो के होगा।।



दरबारा मैं ज्योत जगे सै,

संगत बेशुमार ख़डी,
रोहताश न भोग दिया जब,
दोनु शक्ति खूब लड़ी,
अशोक भगत के बोला प,
देह तोड़े रामकुमार,
देखियो के होगा।
गोरख का चिमटा बाजें,
काली की चले कटार,
देखियो के होगा।।



गोरख का चिमटा बाजे,

काली की चले कटार,
देखियो के होगा।।

गायक – मुकेश जी शर्मा।
प्रेषक – दीपक सोनी।
9255910203


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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