घाटे के महा आ गया हो बाबा ध्यान हरि में धर क

घाटे के महा आ गया हो बाबा,
ध्यान हरि में धर क,
तेरे भवन के भीतर बड़ गया,
जगह ली मर पड़ क।।



काया में इसा रोग फैल गया,

ना करती असर दवाई,
सब कुणबे की चाल बिगड़गी,
कोनया रही समाई,
मेरी काया में चीस लागगी,
सिर दुणा स भड़के,
तेरे भवन के भीतर बड़ गया,
जगह ली मर पड़ क।।



पां दुखं कदे दर्द पेट में,

न्यु चक्कर सा आवः,
सोवण दे ना मन्नै रात ने,
संकट घणा सतावः,
इस संकट ने दुर हटादे,
घरां बैठगया अड़ क,
तेरे भवन के भीतर बड़ गया,
जगह ली मर पड़ क।।



तेरे भवन प आगया बाबा,

सारा साटा सटज्यागा,
एक ब दर्श दिखादे तुँ,
मेरा सुख तं जीवन कटज्यागा,
उस माणस का के जीणा,
जिका कुणबा सोवः लड़ क,
तेरे भवन के भीतर बड़ गया,
जगह ली मर पड़ क।।



कह मुरारी भजन करे बिन,

सबकी हार स,
दर्शन दे दे बालाजी भई,
जिसका सच्चा प्यार स,
मेंहदीपुर में भक्त खड़े सं,
तेरे भवन की जड़ क,
तेरे भवन के भीतर बड़ गया,
जगह ली मर पड़ क।।



घाटे के महा आ गया हो बाबा,

ध्यान हरि में धर क,
तेरे भवन के भीतर बड़ गया,
जगह ली मर पड़ क।।

गायक – नरेंद्र कौशिक।
प्रेषक – राकेश कुमार खरक जाटान,
9992976579


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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