घणी घणी की दी थारे,
बोलमा खजुरिया भेरू,
पालनो बंदावो मारे आज,
भेरू जी म्हारा,
बाजडली आई थारे द्वार।।
दुखीयारी री बेला बेगा,
आवजो खजुरिया भेरू,
आया आया थारोड़े दरबार,
भेरू जी म्हारा,
राखो राखो भगता वाली लाज।।
भीलवाड़ा जिला माई,
खजुरिया है गांव,
वटे तो बिराजिया,
मारा खजुरिया रा श्याम।।
शनिवार की सेवा में,
आवे भीड़ अपार,
भोपा खेले देवर माई,
साकल पंखों हाथ।।
कबूतरों के धान गणों है,
बर्तन का भंडार,
लंबी चौड़ी बनी सराय,
शोभा अपरमपार।।
चूरमो चढ़ाऊ देवा,
तेल अपरंपार,
नीलोडा नारियल चढ़ावा,
मिठाई अपार।।
अम्बालाल आयो शरणा माई,
सुन लीजिओ अरदास,
पालनीओ बदावों,
एक छोटी सी है अरदास।।
घणी घणी की दी थारे,
बोलमा खजुरिया भेरू,
पालनो बंदावो मारे आज,
भेरू जी म्हारा,
बाजडली आई थारे द्वार।।
गायक – भगवत सुथार।
प्रेषक – शिव सा मोरवाल।
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