घड़ दे रे सुनार के,
चांदी का एक सोटा,
घड़ दे रे सुनार के।।
पैसे की तु,
फिकर ना करीये,
सोटे में रंग भक्ति,
का भरीये,
दर्जी प सिमाणा,
एक लाल सा लंगोटा,
घड़ दे रे सूनार के,
चांदी का एक सोटा,
घड़ दे रे सुनार के।।
इस सोटे क घुंघरु,
भी लाईए,
श्रीराम की फोटो,
बणवाईए,
देर ना लगाईए,
फिकर होरया मोटा,
घड़ दे रे सूनार के,
चांदी का एक सोटा,
घड़ दे रे सुनार के।।
जय बालाजी,
सोटे पे लिखणा,
सोटा चाहिए,
सोहणा सा दिखणा,
अच्छा नहीं लागे रे,
काम कोई खोटा,
घड़ दे रे सूनार के,
चांदी का एक सोटा,
घड़ दे रे सुनार के।।
संग ‘कमल’ सिंह,
धाम प जाणा,
बाबा के चरणों,
में सोटा चढाणा,
गैल्या लेके जांगी,
एक गंगा जल का लोटा,
घड़ दे रे सुनार के,
चांदी का एक सोटा,
घड़ दे रे सुनार के।।
स्वर – नरेंद्र कौशिक।
भजन प्रेषक,
राकेश कुमार
9992976579