गणनायक विघ्न हरो देवा सुख संपत्ति दीजो आए के

गणनायक विघ्न हरो देवा,
सुख संपत्ति दीजो आए के,
गणनायक विघन हरो देवा।।



पार्वती के तुम हो लाला,

मैं जपता प्रभु थारी माला,
खोलो मेरे हिरदे का ताला,
मने ज्ञान बताओ आए के,
मारे गुण से हदय भरो देवा,
गणनायक विघन हरो देवा।।



मात गवरजा सिया सती को,

मैं जपता कैलाशपति को,
बलवन्ते हनुमान जती को,
लायो संजीवन जाय के,
सियाराम के काल सरो देवा,
गणनायक विघन हरो देवा।।



रवि शशि शेष सकल गण तारा,

68 तीर्थ गंगा की धारा,
पुष्कर राज सदा है प्यारा,
नाव पड़ी मझधार में मेरी,
भव सागर पार करो देवा,
गणनायक विघन हरो देवा।।



मात-पिता गुरुदेव गुसाईं,

जन्म दियो गुरु ज्ञान बताई,
धन्य शिवलाल तेरा गुण गावे,
चरणों में शीश निवाई के,
मेरे सिर पर हाथ धरो देवा,
गणनायक विघन हरो देवा।।



गणनायक विघ्न हरो देवा,

सुख संपत्ति दीजो आए के,
गणनायक विघन हरो देवा।।

गायक – संत राजुराम जी।
प्रेषक – बलदेव गोड़ मलवा
9660578002


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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