गजानंद जी ने सोवे दो नारी,
दो नारी ज्यारी शोभा भारी।।
एक नारी ज्यारे सेज बिछावें जी,
दूजी नारी पगल्या दाबण वाली,
गजानन्द जी ने सोवे दो नारी।।
एक नारी ज्यारे भोजन बनावे जी,
दूजी नारी वो परोसण वाली,
गजानन्द जी ने सोवे दो नारी।।
रनत भँवर गढ़ आप बिराजो जी,
रिद्धि सिद्धि री महिमा है भारी,
गजानन्द जी ने सोवे दो नारी।।
तान सेन गणपति ने मनावे जी,
चरण कमल जाउ बलियारी,
गजानन्द जी ने सोवे दो नारी।।
गजानंद जी ने सोवे दो नारी,
दो नारी ज्यारी शोभा भारी।।
भजन गायक – चम्पा लाल प्रजापति।
( मालासेरी डुंगरी) 89479-15979