फूलो में सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी,
और हाथ में त्रिशूल है,
करे सिंह कि सवारी,
फूलों में सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी।।
सोने का मुकुट सर पर,
लगता है कितना प्यारा,
मुख पर तेज है इतना,
सूरज में नही जितना,
ओर लम्बे लम्बे केश है,
जैसे घटा हो काली,
फूलों में सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी।।
माथे पे बिंदिया जैसे,
चंदा चमक रहा हो,
आँखों मे जोति ऐसी,
प्यार बरस रहा हो,
भगतो के लिए प्यार है,
दुश्मन के लिए काली,
फूलों में सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी।।
पुष्पो की गल मे माला,
लगती है कितनी प्यारी,
लाल चुनरियाँ ओड़े,
भगतो के मन को भाती,
तेरे चरणों से लगा ले,
जांगिड़ को माँ भवानी,
फूलों में सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी।।
फूलो में सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी,
और हाथ में त्रिशूल है,
करे सिंह कि सवारी,
फूलों में सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी।।
गायक/लेखक – अशोक कुमार जांगिड़।
सवाई माधोपुर – 9828123517