फागुण का मेला आता है,
हर साल आके चला जाता है,
खाटु के नजारे,
लगते बड़े प्यारे,
सजके वहां बैठे,
हारे के सहारे,
फागुण का मेला आता है,
हर साल आके चला जाता है।।
तर्ज – मेला दिलों का आता है।
ढोलक बाजे और बाज रहे है चंग,
देखो नाचे सब एकदूजे के संग,
जग वाले देते है मेले की मिसाले,
कानो में गूंजती है खाटु की धमाले,
मेला धमालों का आता है,
हर साल आके चला जाता है,
ढफली की ताले,
सेवक मतवाले,
रस्ते में सारे करते है धमाले,
फागुन का मेला आता है,
हर साल आके चला जाता है।।
तू भी चल रे मौका ना मिलेगा कल,
रस्ता देखे खाटु वाला हर पल,
एक बार चल के देख ले तू प्यारे,
भूल नहीं पाएगा मेले की बहारे,
मेला बहारो का आता है,
हर साल आके चला जाता है,
कुंड के किनारे,
पाप धोए सारे,
सुथरे दिलों से देखे,
मेले की बहारे,
फागुन का मेला आता है,
हर साल आके चला जाता है।।
लीले वाले की लीला चलके देख,
पल में बदले ये तो किस्मत का लेख,
दोनों हाथ बैठा है श्याम लुटाने,
भर जाती है सबकी झोलियाँ दीवाने,
मेला दीवानों का आता है,
हरसाल आके चला जाता है,
पल वो सुहाने,
नाचे मस्ताने,
सुध बिसराई सारी श्याम के दीवाने,
फागुन का मेला आता है,
हर साल आके चला जाता है।।
बारस जो आती आँखे ये बहे कल कल,
बच्चे बिछड़े जब बाबा से उस पल,
करते है ‘हर्ष’ सारे आने के फिर वादे,
दिल में संजोके लाए,
मेले की वो यादे,
मेला यादों का आता है,
हरसाल आके चला जाता है,
होती फरियादें,
करते है वादे,
मन में बसा के लाते मेले की वो यादे,
फागुन का मेला आता है,
हर साल आके चला जाता है।।
फागुण का मेला आता है,
हर साल आके चला जाता है,
खाटु के नजारे,
लगते बड़े प्यारे,
सजके वहां बैठे,
हारे के सहारे,
फागुण का मेला आता है,
हर साल आके चला जाता है।।