एहसास मेरे दिल में,
तुम्हारा है साँवरे।
तर्ज – अहसान मेरे दिल पे।
श्लोक – किसी के कान में हीरा,
किसी के नाक में हीरा,
किसी के हाथ में हीरा,
किसी हार में हीरा,
हमे हिरे से क्या लेना,
हमारे श्याम है हीरा।
एहसास मेरे दिल में,
तुम्हारा है साँवरे,
ये दिल तुम्हारे प्यार का,
मारा है साँवरे।।
कान्हा ने मेरे वास्ते,
क्या कुछ नही किया,
बाबा ने मेरे वास्ते,
क्या कुछ नही किया,
जीवन भर है शुक्रिया,
जीवन भर है शुक्रिया,
हर पल है शुक्रिया,
हर दम है शुक्रिया,
तू ही तो हारे का,
सहारा है साँवरे,
ये दिल तुम्हारे प्यार का,
मारा है साँवरे।।
बनते है बिगड़े काम,
तुम्हारे ही नाम से,
झुकते है जिनके सर,
तुम्हारे ही धाम पे,
मेरी नैय्या का तुम ही,
किनारा हो साँवरे,
ये दिल तुम्हारे प्यार का,
मारा है साँवरे।।
तुम बिन जैसे मैं,
जल बिन मछली,
यार दिल दार तेरा,
प्यार है असली,
हम जैसे “पागलो” का,
दुलार है साँवरे,
ये दिल तुम्हारे प्यार का,
मारा है साँवरे।।
एहसास मेरे दिल में,
तुम्हारा है साँवरे,
ये दिल तुम्हारे प्यार का,
मारा है साँवरे।।
– स्वर एवं प्रेषक –
श्री रूप बसंत जी।
Ph. 7354500706