दुनिया क्या देखते हो,
खाटू में आके देखो ना,
बाबा की नगरी अगर जाएगा,
बाबा की नगरी अगर जाएगा,
बिगड़ा मुक़द्दर संवर जाएगा,
झुकने ना दे सर जहान में,
इसके दर पे झुका के देखो ना,
खाटू में आके देखो ना,
दुनियाँ क्या देखते हो,
खाटू में आके देखो ना।।
तर्ज – चेहरा क्या देखते हो।
भक्तों के प्यारे का,
सबके सहारे का,
जब तुझको दीदार हो जाएगा,
बाबा की तुझपे पड़ेगी नज़र,
फिर तू भी भव पार हो जाएगा,
हारे का साथी है बाबा,
ये रिश्ता निभा के देखो ना,
खाटू में आके देखो ना,
दुनियाँ क्या देखते हो,
खाटू में आके देखो ना।।
आते सवाली है,
जाते ना खाली है,
औकात से ज़्यादा मिलता यहाँ,
चिंता भी चिंतन में तब्दील हो,
मुरझाया चेहरा खिलता यहाँ,
रोशन करे काली राते,
ज्योति जगा के देखो ना,
खाटू में आके देखो ना,
दुनियाँ क्या देखते हो,
खाटू में आके देखो ना।।
हर रोज मेला है,
भक्तो का रेला है,
खाटू में रहमत की बरसात है,
आता है जो वो ही कहता है ये,
क्या बात क्या बात क्या बात है,
खाटू के रास्ते पे अपनी,
वो गाड़ी लगाके देखो ना,
खाटू में आके देखो ना,
दुनियाँ क्या देखते हो,
खाटू में आके देखो ना।।
जिसने पुकारा है,
मिलता सहारा है,
ये बात सच्ची है झूठी नही,
उम्मीदें जो भी लगाता यहाँ,
‘नरसी’ वो उम्मीदे टूटी नही,
सुनता है ये सबकी अर्जी,
तो तुम भी सुनाके देखो ना,
खाटू में आके देखो ना,
दुनियाँ क्या देखते हो,
खाटू में आके देखो ना।।
दुनिया क्या देखते हो,
खाटू में आके देखो ना,
बाबा की नगरी अगर जाएगा,
बाबा की नगरी अगर जाएगा,
बिगड़ा मुक़द्दर संवर जाएगा,
झुकने ना दे सर जहान में,
इसके दर पे झुका के देखो ना,
खाटू में आके देखो ना,
दुनियाँ क्या देखते हो,
खाटू में आके देखो ना।।
गायक / लेखक – नरेश नरसी जी।