दुनिया बनाने वाले,
वाह रे तेरी माया,
तेरा पार ना कोई पाया,
तेरा पार ना कोई पाया।।
तर्ज – दुनिया बनाने वाले क्या।
कोयल को काहे तूने,
काला बनाया,
बगुले को उजले,
रंग में रंगाया,
काहे किया रे,
रत्नाकर को खारा,
कोई ना समझा,
ये खेल तुम्हारा,
क्या क्या बताये कैसी,
भूल तू करता आया,
तेरा पार ना कोई पाया,
तेरा पार ना कोई पाया।।
काबुल के देश में,
मेवे उपजाए,
खटे करीर लेकिन,
ब्रज में उगाये,
ब्राह्मण को तुमने,
बनाया पुजारी,
अनपढ़ को दुनिया की,
दोलत दी सारी,
उलटे को सीधा और,
सीधे को उलटा बनाया,
तेरा पार ना कोई पाया,
तेरा पार ना कोई पाया।।
सोने को इतना,
सुंदर बनाया,
जिसने भी देखा उसका,
मन ललचाया,
काहे ना इसमें,
सुगंध थोड़ी डाली,
बदले में हिरण की,
नाभि में डाली,
‘हर्ष’ तुम्हारी महिमा,
कोई भी जान ना पाया,
तेरा पार ना कोई पाया,
तेरा पार ना कोई पाया।।
दाता सपने में आये,
शंका को मेटा,
थोडा थोडा सा मैने,
सबको है बाटा,
मेरी नजर में,
बराबर है सारे,
आया समझ में,
क्या बालक तुम्हारे,
एक अकेला सब कुछ,
आज तलक नही पाया बन्दे,
यही है मेरी माया बन्दे,
यही है मेरी माया बन्दे।।
दुनिया बनाने वाले,
वाह रे तेरी माया,
तेरा पार ना कोई पाया,
तेरा पार ना कोई पाया।।
Singer : Sanjay Mittal