दिल में अरमान है माँ,
द्वार तेरे आऊँ मैं,
बैठ चरणों में तेरा गीत,
सदा गाऊँ मैं।।
तर्ज – रंग और नूर की बारात।
मन में उठती है तरंगे,
तेरा दरशन होगा,
शुभ घड़ी कब आयेगी,
माँ-सुत का मिलन होगा,
तेरी ममता से भरे गोद में,
सुख पाऊँ मैं,
बैठ चरणों में तेरा गीत,
सदा गाऊँ मैं।।
तेरी बगिया में गृहस्थी,
मेरी संवरती रहे,
तेरी किरपा मेरे ऊपर,
सदा बरसती रहे,
है तमन्ना मेरे मन में,
तुझे ही ध्याऊँ मैं,
बैठ चरणों में तेरा गीत,
सदा गाऊँ मैं।।
मेरी ममतामयी जननी,
दया का सागर है,
मेरी भक्ति भी माँ के नाम,
से उजागर है,
दर्श मिलता रहे मन को,
यही समझाऊँ मैं,
बैठ चरणों में तेरा गीत,
सदा गाऊँ मैं।।
ये जगजननी सभी के दिल की,
हर इक साँस में है,
जब भी महसूस करो मां तो,
उसके पास में है,
कहे ‘परशुराम’ कहीं और,
नहीं जाऊँ मैं,
बैठ चरणों में तेरा गीत,
सदा गाऊँ मैं।।
दिल में अरमान है माँ,
द्वार तेरे आऊँ मैं,
बैठ चरणों में तेरा गीत,
सदा गाऊँ मैं।।
लेखक एवं प्रेषक – परशुराम उपाध्याय।
गायक – सौरभ उपाध्याय।
श्रीमानस मण्डल वाराणसी।
9307386438