ढेलडी मार्ग में क्यु ब्याई,
दोहा: अजगर करे नी चाकरी,
तो पंछी करे नि काम,
दास मलुका यु कहे,
सब के दाता राम।
ढेलडी मार्ग में क्यु ब्याई,
थारा बचीया बिलड ले जाई रे,
ढेलडी मार्ग में क्यु ब्याई।।
मार्ग में थे ईण्डा रे बेलीया,
आ कई अकल गमाई,
रात दिन थारी करू रखवाली,
पलक देर नही आई रे ढेलडी,
मार्ग मे क्यु ब्याई ए हा।।
जेठ जी गया अजमो लेवन,
ने लावत देर लगाई,
छोको देख ने अजमो लावो,
कोड करे ने खाई रे ढेलडी,
मार्ग मे क्यु ब्याई ए हा।।
चीठी कबुडी थारे काकी लागे,
कागला बुआ रो बेटो भाई,
मोरीया ने कटे घमायो,
एकली क्यु आई रे ढेलडी,
मार्ग मे क्यु ब्याई ए हा।।
पानी जल रो अमर पिचको,
अरट बगेची माई,
दादा गुरु री बाडी देखने,
हरे भेटवा खाई रे ढेलडी,
मार्ग मे क्यु ब्याई ए हा।।
दादा वाणी रा दर्शन करना,
मारे मन मे आई,
छोकालाल कहे रे संतों,
सीख देनी खाई रे ढेलडी,
मार्ग मे क्यु ब्याई ए हा।।
थारा बचीया बिलड ले जाई रे,
ढेलडी मार्ग में क्यु ब्याई।।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818