धन्य भाग सेवा का अवसर पाया भजन लिरिक्स

धन्य भाग सेवा का अवसर पाया,
चरण कमल की धूल बना मैं,
मोक्ष द्वार तक आया,
धन्य भाग सेवां का अवसर पाया।।



हरि अनंत हरि रूप अनंता,

कैसे कोई ध्यावे,
राग रागिनी के सुर सुर में,
हरि निज रूप दिखाया,
धन्य भाग सेवां का अवसर पाया।।



घट में गूंजा नाद निरंतर,

जोत जली अंतर में,
सौ सूरज के उजियारे में,
मैंने मुझको पाया,
धन्य भाग सेवां का अवसर पाया।।



धरती भीतर बीज पड़ा था,

प्रभु के चरण लगे तो,
बीज बन गया फूल,
गंध ले दूर गगन तक धाया,
धन्य भाग सेवां का अवसर पाया।।



धन्य भाग सेवा का अवसर पाया,

चरण कमल की धूल बना मैं,
मोक्ष द्वार तक आया,
धन्य भाग सेवां का अवसर पाया।।

स्वर – मिश्रा बंधू / कविताकृष्णमूर्ति।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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