धन यशोदा थारो भाग,
जिन घर कानजी जन्म लियो,
बाजा बाजे सोहन थाल,
घर घर मंगला होय रया।।
सोहन शीटियो कानूड़े रे हाथ,
दड़की खेले म्हारो श्याम धनी,
कानूड़े दीनी दड़की नो चोट,
जल जमना मो जाय पड़ी।।
जोयो जोयो जल जमना रो नीर,
घर वासंग रे जाय खड़ा,
नागण थारे नाग नो जगाव,
मैं और नाग जी भैला रमो।।
तू कानूड़ा पाछो घरा नो जाय,
म्हारे मन मो दया घणी,
कानजी मारी वासंग राजा रे लात,
छपन पहियाला घणी जागियो।।
उठते वासंग दीनी फूंक,
जिन दिन कानजी काला पड़या,
सोहन पिंगी कानूड़े रे हाथ,
नाच्यो नाच्यों पिहाला रो धणी।।
गले मो फूलो री माल,
पदमन थारे पाए पड़े,
हमको थे कर दिजो माफ,
अमर चूडले री आश करा।।
ए जस गावे मोहन दास,
शरणों मो राखो श्याम धणी।।
धन यशोदा थारो भाग,
जिन घर कानजी जन्म लियो,
बाजा बाजे सोहन थाल,
घर घर मंगला होय रया।।
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