धजाबन्द मैं नौकर हूँ थाको,
अन्नदाता ईतरी भूल कांई राखो,
धजबन्द मैं नौकर हूँ थाको।।
गवरी रा नन्द गणेश ने सिंवरू,
हिरदे उजियालो राखो,
रिद्धि सिद्दी रा खोलो भंडारा,
कमी कांई री मती राखो।।
सोवनी द्वारका सू कृष्ण पधारया,
भलो कियो तंवरों को,
अजमाल जी री आशा पुराई,
कियो काल रो ग्रासो।।
बड़ा बीरमदे छोटा रामदे,
जोड़ो बणियो भाया को,
माता मैणादे उतारे आरती,
थाल भरियो मोतिया को।।
लीले चढ़ ने पीर पधारया,
हाथ में भालो बांको,
डूबत नाव बोहिते री तारी,
बाल जीवायो सुगणा को।।
सेतु पर दाता शिला तिराई,
आगे रावण बांको,
दस मस्तक रावण रा उड़ाया,
माई हड़मान वाळो हाको।।
सती द्रोपदा रो चीर पूरियों,
हाकियो रथ अर्जुन को,
बाई नैनी रो भरियो मायरो,
आंबो उगायो पांडवा को।।
गज री पुकार सुणी गिरधारी,
तुरन्त आयो गरुड़ थाको,
दोय कर जोड़ राजा मानसिंहजी बोले,
आवा गमन कांई राखो।।
धजाबन्द मैं नौकर हूँ थाको,
अन्नदाता ईतरी भूल कांई राखो,
धजबन्द मैं नौकर हूँ थाको।।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052