देख मटकी पे मटकी,
कन्हैया कईया खटकी,
खटकी तो कट है समाई रे,
कान्हा कंकरिया जोर की लगाई रे।।
देखो मटकी जो टूटी,
राधा दही में लिपटगी
दही की मलाई अंग अंग में चिपटगी,
तो सांवरियो मुसकावे,
राधा रानी ने चिढावे,
राधा शरम से नैन झुकाई रे।
देखि मटकी पे मटकी,
कन्हैया कईया खटकी,
खटकी तो कट है समाई रे,
कान्हा कंकरिया जोर की लगाई रे।।
आज नहीं आई मेरी संग सहेली,
जितना सताले चाहे देख के अकेली,
मैया को जाके तेरा हाल सुना दूँ,
श्याम करे तू बहुत बुरे रे।
देखि मटकी पे मटकी,
कन्हैया कईया खटकी,
खटकी तो कट है समाई रे,
कान्हा कंकरिया जोर की लगाई रे।।
इतने में आई दो चार गुजरिया,
कैसो हाल राधा जी को,
कियो रे सांवरिया,
ठहर रे कान्हा मैं तने बतावा,
गुजरी कान पकड़ ले आई रे।
देखि मटकी पे मटकी,
कन्हैया कईया खटकी,
खटकी तो कट है समाई रे,
कान्हा कंकरिया जोर की लगाई रे।।
कान पकड़ गुजरी कान्हा ने नचावे,
देखो जी दयालु राधा,
कान्हा ने छुडावे,
तो गुजरी गुस्साई,
राधा बीच बोलो नाही,
और सांवरे से कंकरिया खाई रे।
देखि मटकी पे मटकी,
कन्हैया कईया खटकी,
खटकी तो कट है समाई रे,
कान्हा कंकरिया जोर की लगाई रे।।
भक्ता के मन भी कंकरिया लागी,
कंकरिया लागी तो,
श्याम भक्ति जागी,
गावा गुणगान करा,
श्याम जी को ध्यान,
जन जन ने ये बात बताई रे।
देखि मटकी पे मटकी,
कन्हैया कईया खटकी,
खटकी तो कट है समाई रे,
कान्हा कंकरिया जोर की लगाई रे।।
देख मटकी पे मटकी,
कन्हैया कईया खटकी,
खटकी तो कट है समाई रे,
कान्हा कंकरिया जोर की लगाई रे।।
गायक – मनीष तिवारी।