दे गई ताली या जवानी,
दे गई ताली रे,
यो भाडा को मकान,
करणो पडसी खाली रे।।
आच्यौ खायो आच्यौ पेरियो,
तन का लाड लडाया रे,
राम नाम तु कदी न लिदो,
बीज बुलिया रा भाया रे,
तु जाने मे अमर हो जास्यु,
ये बाता खाली रे,
यो भाडा को मकान,
करणो पडसी खाली रे।।
तु जाने यो मनक जमारो,
पाचों दोडीयो आशी रे,
धन दोलत ये माल खजाना,
अटी पड्या रह जासी रे,
करनौ वे जो आज ही करले,
मत कर रखवाली रे,
यो भाडा को मकान,
करणो पडसी खाली रे।।
करनी आच्ची करले बंदे,
मनक जमारा माही रे,
यो अवसर पाचों नही आशी,
करले सांची कमाई रे,
जन्म मरण थारे हाथ न आवे,
मत कर रखवाली रे,
यो भाडा को मकान,
करणो पडसी खाली रे।।
सत्संगत की बैठ नाव मे,
गुरु ने केवट बनाले रे,
भव सागर से पार हो जासी,
जुठो जाल हटाले रे,
राधेश्याम कहे चेत रे भवरा,
उमर थारी जावे खाली रे,
यो भाडा को मकान,
करणो पडसी खाली रे।।
दे गई ताली या जवानी,
दे गई ताली रे,
यो भाडा को मकान,
करणो पडसी खाली रे।।
गायक – रामप्रसाद वैष्णव।
प्रेषक – भैरु शंकर शर्मा।
+919549545464
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