शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु गणपति,
सम्भालो बिगड़ी दशा हमारी,
दया करों हे दयालु गणपति।।
तर्ज – तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो।
ना हम में बल है ना हम में शक्ति,
ना हम में साधन ना हम में भक्ति,
तुम्हारे दर के है हम भिखारी,
दया करों हे दयालु गणपति,
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करों हे दयालु गणपति।।
जो तुम पिता हो तो हम है बालक,
जो तुम हो स्वामी तो हम है सेवक,
जो तुम हो ठाकुर तो हम पुजारी,
दया करों हे दयालु गणपति,
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करों हे दयालु गणपति।।
भले जो है हम तो है तुम्हारे,
बुरे जो है हम तो है तुम्हारे,
तुम्हारे हो कर भी हम दुखारी,
दया करों हे दयालु गणपति,
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करों हे दयालु गणपति।।
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु गणपति,
सम्भालो बिगड़ी दशा हमारी,
दया करों हे दयालु गणपति।।
गायक – डॉ. रविन्द्र कुमार।