दासी मुझे बना दिया,
किसका कसूर था,
दासी मुझें बना दिया,
किसका कसूर था,
अंधे को अँधा कह दिया,
तो क्या बुरा किया,
दासी मुझें बना दिया,
किसका कसूर था।।
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पांचो ने बाजी हारी,
पांचो मेरे पति,
पांचो ने बाजी हारी,
पांचो मेरे पति,
लाछण मुझे लगा दिया,
किसका कसूर था,
दासी मुझें बना दिया,
किसका कसूर था।।
पांचो पति के सामने,
घूंघट उठा दिया,
पांचो पति के सामने,
घूंघट उठा दिया,
बोला ना कोई सामने,
किसका कसूर था,
दासी मुझें बना दिया,
किसका कसूर था।।
कलंक लगा कुरुवंश पे,
मर्यादा तोड़ दी,
कलंक लगा कुरुवंश पे,
मर्यादा तोड़ दी,
लाछण मुझे लगा दिया,
किसका कसूर था,
दासी मुझें बना दिया,
किसका कसूर था।।
दासी मुझे बना दिया,
किसका कसूर था,
दासी मुझें बना दिया,
किसका कसूर था,
अंधे को अँधा कह दिया,
तो क्या बुरा किया,
दासी मुझें बना दिया,
किसका कसूर था।।
भजन, स्वर और संगीत – अविनाश मौर्य।
ढोलक : अरुण भाई।
संपर्क : 9098200177