नया कुढ़ता सिला के,
जय बाबा की बुला के,
हम ग्यारस पे आते,
पूरा सज धज के,
अपना बनाले मुझे श्याम धणी,
छोरा बनिये का आवे खाटू तेरे करके,
छोरा बनिये का आवे खाटु तेरे करके।।
सांवली सी सूरत,
दिल को लुभाती है,
हर महीने यही,
खाटू खींच के लाती है,
घंटो लाइन में बिताएं,
झलक छोटी सी पाएं,
काम बन जाते तेरा,
ये दर्श करके,
अपना बनाले मुझे श्याम धणी,
छोरा बनिये का आवे खाटु तेरे करके।।
ग्यारस पे बाबा हमें,
दर पे बुलाते हो,
प्यारे प्यारे प्रेमियों से,
हमें मिलवाते हो,
मिल भजन सुनाएं,
तुझे दिल से रिझाएं,
खाएं कढ़ी कचौड़ी,
तुझे याद करके,
अपना बनाले मुझे श्याम धणी,
छोरा बनिये का आवे खाटु तेरे करके।।
बारस के दिन,
बिदाई जब होती है,
मुड़कर देखूं पीछे,
आँख ये रोती है,
ना कभी दिल से भुलाना,
खाटू रोज़ बुलाना,
‘आशु’ दिल से कहे,
प्रणाम करके,
अपना बनाले मुझे श्याम धणी,
छोरा बनिये का आवे खाटु तेरे करके।।
नया कुढ़ता सिला के,
जय बाबा की बुला के,
हम ग्यारस पे आते,
पूरा सज धज के,
अपना बनाले मुझे श्याम धणी,
छोरा बनिये का आवे खाटू तेरे करके,
छोरा बनिये का आवे खाटु तेरे करके।।
Singer & Upload By – Ashu Singla
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