छोड़ दे मनवा मन मस्ती सोंह शिखर गढ है बस्ती

छोड़ दे मनवा मन मस्ती,
सोंह शिखर गढ है बस्ती।।



इंगला पिंगळा अर्धंग नारी,

चांद सूरज घर रह लगती,
गंगा जमना बहे सरस्वती,
स्वास स्वास की वहां गिणती।।



अष्ट कमल में अलख विराजे,

रंग महल में रहे सगती,
चोबारा में दीपक जलता,
वहां पे सुरता रहे जगती।।



हिये उतार हाथ धर लेणा,

शीश उतार करो कुश्ती,
पांच तन्त गुण तिनू भेला राखो,
जबर धणियांरी है जपती।।



इसी नगर में डंका लागे,

साध सुणे कोई बिरला सती,
झालर शंख पखावज बाजे,
जिण बिच केली करे हसती।।



गोरखनाथ मुक्ती के दाता,

पल पल सुमरे पारवती,
शरण मच्छिंद्र गोरख बोल्या,
अलख लख्या सो खरा जती।।



छोड़ दे मनवा मन मस्ती,

सोंह शिखर गढ है बस्ती।।

गायक – नारायण बैरवा।
Upload – Ramesh Malviya
9850102821


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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