छीन लिया मेरा भोला सा मन,
राधा रमण प्यारो राधा रमण।।
गोकुल का ग्वाला,
ब्रज का कन्हैया,
सखियों का मोहन,
माँ का कन्हैया,
भक्तों का जीवन,
निर्धन का धन,
राधा रमण प्यारो राधा रमण,
छींन लिया मेरा भोला सा मन,
राधा रमण प्यारो राधा रमण।।
यमुना के जल में,
वही श्याम खेले,
लहरों में उछले,
मारे झमेले,
बिछुड़न कभी होवे,
मोहन मिलन,
राधा रमण प्यारो राधा रमण,
छींन लिया मेरा भोला सा मन,
राधा रमण प्यारो राधा रमण।।
जाकर के देखा,
मंदिर के अंदर,
बैठा वही बाबा,
वो श्याम सुन्दर,
कुंडल हलन और,
तिरछी चलन,
राधा रमण प्यारो राधा रमण,
छींन लिया मेरा भोला सा मन,
राधा रमण प्यारो राधा रमण।।
छीन लिया मेरा भोला सा मन,
राधा रमण प्यारो राधा रमण।।
स्वर – मृदुल कृष्ण जी शास्त्री।