चलो दर्शन को मेहंदीपुर चलिए,
जहाँ बालाजी का दरबार है,
तेरे संकट सभी कट जाएंगे,
वो ही संकट के काटन हार है,
चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए।।
तुम यहाँ आओ अर्जी लगाओ,
ध्याम लगाओ बाबा का,
ज्योति जगाओ शीश झुकाओ,
कीर्तन गाओ बाबा का,
जिसे बाबा पे होता विश्वास है,
पूरण होती उसी की यहाँ आस है,
अंधेर नहीं कुछ देर है,
सारा झुकता यहाँ संसार है,
चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए।।
प्रेत राज का राज यहाँ पर,
आज फसे कोई काल फसे,
भेरों का दरबार यहाँ पर,
बच ना सके कोई छुप ना सके,
भूत प्रेतों का बालाजी काल है,
ये काटे सभी के जंजाल है,
तू भी आके यहाँ सर टेक ले,
ये तो करते सभी पर उपकार है,
चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए।।
मंगल और शनि को यहाँ पे,
लगता मेला भारी है,
दूर दूर से कष्ट मिटाने,
आते यहाँ नर नारी है,
तीनो लोको में पावन धाम है,
होती आरती सुबह और शाम है,
तू जयकारा लगाले इस नाम का,
तेरे संग में ‘धामा’ और ‘रामावतार’ है,
चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए।।
चलो दर्शन को मेहंदीपुर चलिए,
जहाँ बालाजी का दरबार है,
तेरे संकट सभी कट जाएंगे,
वो ही संकट के काटन हार है,
चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए।।
गायक – रामावतार जी शर्मा।
प्रेषक – विजय पाल।