चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
पल पल यूँ आठों पहर धीरे धीरे,
चली जा रही हैं उमर धीरे धीरे,
जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे,
मिल जाएगा वो सजन धीरे धीरे।।
बचपन भी जाए जवानी भी जाए,
बुढ़ापे का होगा असर धीरे धीरे,
चली जा रही हैं उमर धीरे धीरे।।
तेरे हाथ पावों में बल ना रहेगा,
झुकेगी तुम्हारी कमर धीरे धीरे,
चली जा रही हैं उमर धीरे धीरे।।
शिथिल अंग होंगे एक दिन तुम्हारे,
फिर मंद होगी नज़र धीरे धीरे,
चली जा रही हैं उमर धीरे धीरे।।
बुराई से मन को अपने हटाले,
सुधर जाए तेरा जीवन धीरे धीरे,
चली जा रही हैं उमर धीरे धीरे।।
चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
पल पल यूँ आठों पहर धीरे धीरे,
चली जा रही हैं उमर धीरे धीरे,
जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे,
मिल जाएगा वो सजन धीरे धीरे।।
स्वर – देवेंद्र पाठक जी।
Bahut accha bajan h m bhi kosis karta hu ki gau
Bahut badhiya Laga Hai yah gana sunkar
वास्तव में जीवन तो दो दिन का हीं है।ये भजन बहुत हीं प्रेरणादायक है ।
मैं भी भजनोपदेशक हूं।जब भी भजन का शुरुआत करता हूं तो इसी भजन से करता हूं।
धन्यवाद
श्यामानंद शास्त्री (भजनोपदेशक)
भागलपुर,बिहार
9304863664
बहूत अच्छा लगा जी ?
Bahut Sundar bhajan
Bahut khubh
Bhut aachha lgaa