चाहत में हमने श्याम की,
खुद को मिटा दिया,
चाहत में हमने आप की,
खुद को मिटा दिया,
वो याद ना करते है हमको,
वो याद ना करते है हमको,
जिन्हे अपना बना लिया,
चाहत में हमनें श्याम की,
खुद को मिटा दिया।।
काबिल तो नहीं पर शौक तो है,
दीदार तेरे का मनमोहन,
इसी आस पे जीवन की,
मैं बाजी लगायी बैठी हूँ,
हम जिसे देखने को जिए जा रहे हैं,
वो पर्दा पे पर्दा किये जा रहे हैं,
मेरा शीशा दिल ये हिफाज़त से रखना,
अपना समझ कर जीए जा रहे हैं,
तुम देखो न देखो प्यारे,
ये है तुम्हारी मर्ज़ी,
मैंने तो तेरे दर पे,
मैंने तो तेरे दर पे,
सर को झुका दिया है,
वो याद ना करते हैं हमको,
जिन्हे अपना बना लिया,
चाहत में हमनें श्याम की,
खुद को मिटा दिया।।
उनकी चाहत में है,
अब ये हालत हमारी,
के आँखों से आंसू बहे जा रहे हैं,
आस पे तकते हैं राहें हम उनकी,
वो अब चल चुके हैं,
वो अब आ रहे हैं,
हंसना ते उसदी आदत सी,
असी गलत अंदाजा ला बैठे,
तुसी हसदे हसदे वसदे रहे,
असी अपना आप गँवा बैठे,
तेरा दर्द दिल में रखना,
तुझे याद करके रोना ,
जीवन का अपने मैंने,
जीवन का अपने मैंने,
मकसद बना लिया है,
वो याद ना करते हैं हमको,
जिन्हे अपना बना लिया,
चाहत में हमनें श्याम की,
खुद को मिटा दिया।।
कहते हो तुम रो ना रो ना,
पर अपने को तो रोना है,
तेरे चरण कमल पर रगड़ रगड़,
कब अपने मन को धोना है,
नैनो की गंगा यमुना से,
तेरे चरण कमल को धोना है,
तुम बनो ना बनो हमारे पिया,
हमको तो तुम्हारा होना है,
मुश्किल है याद तेरी,
इक पल भी भूल पाए,
पगली को याद रखना,
पगली को याद रखना,
तुम्हे अपना बना लिया है,
वो याद ना करते हैं हमको,
जिन्हे अपना बना लिया,
चाहत में हमनें श्याम की,
खुद को मिटा दिया।।
चाहत में हमने श्याम की,
खुद को मिटा दिया,
चाहत में हमने आप की,
खुद को मिटा दिया,
वो याद ना करते हैं हमको,
वो याद ना करते हैं हमको,
जिन्हे अपना बना लिया,
चाहत में हमनें श्याम की,
खुद को मिटा दिया।।
स्वर – साध्वी पूर्णिमा दीदी जी।
वाह!अति सुन्दर भजन, पूनम दीदी की भजन को और कहना ही क्या। पूरे ह्रदय से गाती हैं। आपने तो पूर्ण सर्मपन कर ही दिया है, भक्त भी सरेंडर हो जाते है।