गुरुदेव भजन

Gurudev Bhajan Lyrics

तुझे दे दी गुरुजी ने चाबी तो फिर कँगाल क्यो बने

तुझे दे दी गुरुजी ने चाबी तो फिर कँगाल क्यो बने

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तुझे दे दी गुरुजी ने चाबी, तो फिर कँगाल क्यो बने, तुझे लाल चुनर, तुझे लाल चुनरिया उड़ादी, तो फिर बेहाल क्यो फिरे, तुझें दे दी गुरूजी ने...
उमर गुजर गुजर जाए मगर तू न सुधर पाए

उमर गुजर गुजर जाए मगर तू न सुधर पाए

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उमर गुजर गुजर जाए, मगर तू न सुधर पाए, है मेरी इतनी सी, इल्तिजा रे ओ मन, तरा जाए बिना भजन भव, तरा नही जाए, है मेरी इतनी सी,...
मेरे मन देख ये आदत तेरी आगे चल कर

मेरे मन देख ये आदत तेरी आगे चल कर

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मेरे मन देख ये आदत तेरी, आगे चल कर, तेरी राहो में, ये घातक होगी, काहे मनमानी को तू करता है, आगे चल कर, तेरी भक्ती में ये,...
तेरी नौका में जो बैठा वो पार हो गया

तेरी नौका में जो बैठा वो पार हो गया गुरुदेव भजन

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तेरी नौका में जो बैठा, वो पार हो गया, जो लिया था-२, नाम भव से पार हो गया, तेरी नौका मे जो बैठा, वो पार हो गया।। तर्ज - मेरा...
धीरे धीरे बीती जाए उमर भव तरने का जतन तू कर

धीरे धीरे बीती जाए उमर भव तरने का जतन तू कर

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धीरे धीरे बीती जाए उमर, भव तरने का जतन तू कर, क्यो जग में भटके तू कही, क्यो दर गुरू के आता नही, धीरे धीरे बीती जाए उमर।। तर्ज...
चाहूँ न मै प्रभू माल खजाना गुरुदेव भजन लिरिक्स

चाहूँ न मै प्रभू माल खजाना गुरुदेव भजन लिरिक्स

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चाहूँ न मै प्रभू माल खजाना, बस मुझको इतना बतलाना, भव कैसे मै तरूँगा, भव कैसे मै तरूँगा।। तर्ज - चाहूँगा मै तुझे साँझ सवेरे। दानी नही ध्यानी नही, मूरख...
सोऐ को सँत जगाऐ फिर नीँद न उसको आऐ

सोऐ को सँत जगाऐ फिर नीँद न उसको आऐ

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सोऐ को सँत जगाऐ, फिर नीँद न उसको आऐ, जो जाग के फिर सो जाऐ, उसे कोन जगाऐ, हो उसे कोन जगाऐ।। तर्ज - चिन्गारी कोई भड़के। मर मर कर...
पल पल में यह जीवन जाए हाय बृथा की बातो में

पल पल में यह जीवन जाए हाय बृथा की बातो में

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पल पल में यह जीवन जाए हाय, बृथा की बातो में, इस पल को काहे तू खोए, बृथा की बातो में।। तर्ज - रिमझिम के गीत सावन...
ऐ मेरे मन अभिमानी क्यो करता है नादानी

ऐ मेरे मन अभिमानी क्यो करता है नादानी

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ऐ मेरे मन अभिमानी, क्यो करता है नादानी। तर्ज - ऐ मेरे वतन के लोगो। शेर- है तेरे भजन की बैरा, यहाँ कोई नही है किसी का, ये शुभ अवसर...
कई मर्तबा हम मर चुके है ओ मन

कई मर्तबा हम मर चुके है ओ मन

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कई मर्तबा हम, मर चुके है ओ मन, मगर अब तो, आओ गुरू की शरण, मगर अब तो आओ, गुरू की शरण,क्यो कि, जीते हुए मरने की, कला सीखले...
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